क्यूँ
क्यूँ
कुछ शब्द इस पत्र में,
मैंने तुम्हारे लिए लिखे हैं,
तुम पढ़ कर उनका ज़वाब देना,
अपने शब्दों से उन्हे सँवार देना।
बताना मुझे उस फूल की खुशबू,
जो बिना रँग के उड़ आती है,
किसी मदमस्त हाथी के जैसे,
पूरे वन को महकाती है।
क्यूँ ये काले बादल
इतना जल बरसाते हैँ ?
मन में उठी तरंगों को,
अपने संग बहा ले जाते हैं।
क्यूँ मुझे तुम अच्छे लगते हो ?
हर बात में सच्चे लगते हो ?
मेरे रोज़ ख्यालों में तुम,
नए जीवन के रँग भरते हो ?
क्यूँ अपने इस दिल की बातें
मैं कोरे कागज पर लिख जाती हूँ,
और तुम्हें भेजने से पहले,
इस खत को फाड़ पाती हूँ।

