अजनबी
अजनबी
चलो फिर से हम अजनबी हो जायें।
इस भीड़ भरी दुनिया में खो जायें।।
मिलेंगे कहीं फिर किसी मोड़ पर हम।
यही सोचकर चलो चैन से सो जायें।।
आंखों ने कोरों में छुपा रखा है पानी।
कह दो जरा इनसे थोडा़ तो रो जायें।।
ना शिकवा शिकायत कुछ फिर करेंगे।
कहो तो सृजिता हम उनके हो जायें।।

