Jyoti Deshmukh

Romance

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Jyoti Deshmukh

Romance

अजनबी (परदेसी)

अजनबी (परदेसी)

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एक परदेसी मेरा दिल चुराकर संग ले गया 

निहारती रही में उसे और वो जीवन में मेरे रंग भर गया 


खुल कर खिलखिलाती में जीवन में पहली बार 

वो हसीन सतरंगी सपने दिखा गया 


अबोध बाल मन सा था दिल मेरा 

वो अपने साथ जीने की उम्मीद दे गया 


दिल में मेरे प्रीत के बादल लहराए ऐसे

गीत गा उठा कोई दिल मेरा ऐसा संगीत का ऐसा वाद्ययंत्र बज उठा 


आती हुई बसंत में सरसों के खेत की लहर अपने आगमन का आभास कराती 

पलाश के फूलों सा मुझे मानो गहरा रंग दे गया 


कभी बल खाती बेल जैसा मचलता यौवन मेरा 

प्रेम के फूलों का मकर कन्द दे गया 


प्रेम के अनगिनत अनछुए पल थे सहेजे मैंने 

इस बार जाते जाते मुझे बसंत का मधुबन दे गया 


आकर ठहर गया हर पल के लिए जीवन में 

वो परदेसी अपने नाम का सिंदूर दे गया 


अकेलेपन के अहसास से मुक्त हुई जन्मो जन्मो के लिए 

जाते जाते वो मुझे अपना साथ निभाने का वचन दे गया 



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