अजनबी
अजनबी
एक अजनबी से यूं मुलाकात हो गई,
मुलाकात ही मुलाकात में बातें चार हो गई,
बातों ही बातों में प्यार की शुरुआत हो गई,
वो घंटों बैठे एक दूजे के पास रहते,
कुछ न कहते बस देख मुस्कुराते रहते,
होंठों पर होती बात पर जुबान से न कहते,
एक दिन बातों ही बातों में वो बात भी आ गई,
वो शरमाई और झुकी नज़रों से इशारों में कह गयी,
कि मिले थे अजनबी की भांति कब हमारी जिंदगी बन गई,
हाथों में ले उसके हाथ बंध गए बंधन में,
सात वचनों की कसमों में हो गये एक हम,
अब न वो अजनबी रहा और न मैं,
बस एक दूजे के साथी बन गये हम।