जीवन के बाद
जीवन के बाद
चांद से कहा सुनी हो गई
टूटते तारे को देख कर
ज़िद किए सारे तारे
हमे भी उसके जैसे तेज भागना है
एक ही जगह बैठे बैठे बोर हो गए
चांद ने गुस्से में बोला-
वो टूट गया है भीतर से
दर्द में, तुम्हे मस्ती करनी है
तारे चिढ़ कर बोले -
तुम बड़े हो नहीं भाग सकते ऐसे
तो हमसे जलते हो
चांद बोला -
ना यकीन हो तो पूछो उस तारे से
टूटता तारा बोला -
मैं ज़िद में कूद पड़ा अब
पछता रहा तुम यही रहो
मैं जा रहा।

