धुंध
धुंध
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धुंधली सुबह में, धूसर रंग का पर्दा
दुनिया एक रहस्यमय तरीके से ढकी हुई है
कोहरा छाया हुआ है, नरम और शांत
परिदृश्य को बदल रहा है, एक सपने की तरह
धुंध के बीच परछाइयाँ नाचती और खेलती हैं
मानो प्रकृति स्वयं कुछ कहना चाहती हो।
हवा शांत है, एक शांत आलिंगन
कोहरे का कोमल स्पर्श
पेड़ ऊँचे खड़े हैं, उनकी शाखाएँ लिपटी हुई हैं
धुंध के कफन में दबी हुई हैं।