बेचारे
बेचारे
आज हम हैं कितने बेचारे हो गए।
तेरी ही दुनिया में आकर खो गए।।
नींद भी भागी आँख से जाने कहाँ ?
आँख में आ वो दिन पुराने सो गए।।
बात सब दिल में ही छिपाए ही रहे
याद जब भी तेरी थीं आयीं रो लिए।।
तेरी नज़र का ज़ादू है या और कुछ।
यादें वह आँसू बनकर हमें भिगो गये।।
जिंदगी भर रास्ता तेरा तकते ही रहे।
तुम भी भला आये कहाँ हम सो गए।।
लालसा मन की थी दबी मन में रही।
जाने किसके साथ में थे तुम हो लिए।।
रात भर जलती रही आशा की बाती।
तुमतो आये ही नहीं बुझे मन के दिए।

