बारिश की आस
बारिश की आस
देखे नयन नित गगन को
मन में बारिश की आस।
नदी तालाब पथ जोहते
वारिद का देखो दिन रैन।
वन तड़ाग सब तड़प रहे
दिखते जीव सभी बेचैन।
मेघ आओ झूम कर अब
अब कुछ नहीं आये रास।
जीवन के आधार वारिद
घेर घेर बरसो गगन घन।
खेत बाग वन सूखते अब
कर दो हरित अब जीवन।
देखे नयन नित गगन को
मन में बारिश की आस।
हे पयोधर अबतो सुन लो
देखो मही तुझको पुकारे।
अमृत तेरी जलधार घन
बिन तेरे लगते सब हारे।
जलधर जल वर्षा करो
बुझ जाय धरा की प्यास।