कु्ण्डलिया
कु्ण्डलिया
सपना था करना जिसे, आज हुआ साकार।
राह नहीं आसान था, किया उसे भी पार।
किया उसे भी पार, जीत गिर गिर कर पाया।
सारे कंटक बीन, नवल पथ देख बनाया।
कहती सरला आज, बना यह चन्दा अपना।
मेहनत की दिन-रात, हुआ पूरा तब सपना।।
सपना था करना जिसे, आज हुआ साकार।
राह नहीं आसान था, किया उसे भी पार।
किया उसे भी पार, जीत गिर गिर कर पाया।
सारे कंटक बीन, नवल पथ देख बनाया।
कहती सरला आज, बना यह चन्दा अपना।
मेहनत की दिन-रात, हुआ पूरा तब सपना।।