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डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

Inspirational

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डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

Inspirational

3 कुण्डलियां

3 कुण्डलियां

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कुण्डलिया

1-

रघुपति करते हैं दया, जो भजता है नाम। 

होती जब उनकी कृपा, बनते सारे काम। 

बनते सारे काम , हटें सब पथ के काँटे। 

होती पूरी आस, राम जी सुख जब बाँटे। 

सिर पर अपना हाथ, धरें सबके सीतापति।

दुख सबका हो दूर, दया कर दो हे रघुपति।


2-

पावन उनका नाम है, कहते उनको राम। 

आता है जो भी शरण, बनता उसका काम। 

बनता उसका काम , सभी के वही सहारे।

भव बन्धन कर दूर , वही फिर पार उतारें। 

कौशल्या सुत राम, नाम लगता मनभावन।

सिर पर रख दो हाथ, बने यह जीवन पावन।


3- 

हनुमत के प्रिय राम है, जीवन के आधार। 

भटक रही इस जगत में, अब तो कर दो पार। 

अब तो कर दो पार , काट दो सारी माया। 

जाता खाली हाथ, कहाँ कुछ कोई पाया।

राम नाम बस सत्य, यही कहता है जनमत।

सबके प्रियवर राम, राम के प्रिय हैं हनुमत। 



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