आशा
आशा
बसे सभी मन में अब प्रथा नवल रग में।
हटे सभी अँधियारा प्रकाश हो जग में ।।
सभी बढ़ें अब आगे नहीं रहे पीछे।
विकास की यह यात्रा सदा चले डग में ।।
मिठास हो सब मन में चलो गहें पथ यह।
करे नहीं जग क्रन्दन गिरे नहीं मग में ।।
बहें सदा बन खुशबू रहें बसे मन में।
उठे नवल इक आशा चमक नये नग में ।।
चलो हटा पथ कंटक हरें सभी बाधा।
नहीं चुभे अब पत्थर कभी किसी पग में ।।
भरे सभी मन आशा सकल नवल स्निग्धा।
बसा रहे मन अम्बर विहग तथा खग में ।।