STORYMIRROR

डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

Inspirational

4  

डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"

Inspirational

आशा

आशा

1 min
238


  बसे सभी मन में अब प्रथा नवल रग में।

 हटे सभी अँधियारा प्रकाश हो जग में ।।


 सभी बढ़ें अब आगे नहीं रहे पीछे।

 विकास की यह यात्रा सदा चले डग में ।। 

 

 मिठास हो सब मन में चलो गहें पथ यह।

 करे नहीं जग क्रन्दन गिरे नहीं मग में ।।


 बहें सदा बन खुशबू रहें बसे मन में।

 उठे नवल इक आशा चमक नये नग में ।। 


 चलो हटा पथ कंटक हरें सभी बाधा।

 नहीं चुभे अब पत्थर कभी किसी पग में ।।


 भरे सभी मन आशा सकल नवल स्निग्धा।

 बसा रहे मन अम्बर विहग तथा खग में ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational