रिश्ता जो जोड़ना चाहा
रिश्ता जो जोड़ना चाहा
एक रिश्ता जो जोड़ना चाहा
पर जुड़ ना पाया
तोड़ना भी चाहा तो टूट ना पाया
फिर बन गया अनकहे रिश्ते।
कुछ रिश्तों की पहचान नहीं होती
कुछ रिश्तों में पहचान नहीं होती
हमारा और तुम्हारा सच में
क्या कहें हालत अब बयां नहीं होती।
सबकी नजरों में टूटा ही सही
तू मुझसे रूठा ही सही
तू गैर का हो गया ही सही
पर मेरी हर बात का निशान है तू।
हां हां बस तू ही एक
मेरे प्रेम की पहचान है तू
दुनिया इसे माने ना माने
समाज इसे जाने ना जाने।
जो इसे हम कह नही सकते
यही है वो अनकहे रिश्ते
इसी पर पूरा जीवन टिका
तेरा लिए ही है लिखा।
तेरा नाम किसी भी हाल में
अब ले नहीं सकते
यही है तेरे मेरे अनकहे रिश्ते
हर पल तुझे मैं याद करूं
फिक्र तेरी हर बार करूं।
पर सामने किसी के
अब जता नहीं सकते
यही है तेरे मेरे अनकहे रिश्ते।

