STORYMIRROR

Anurag Negi

Romance

4  

Anurag Negi

Romance

और तुम मेरे हो गए

और तुम मेरे हो गए

1 min
271

रोज सुबह उनका मुझसे मिलना,

मिलने के बाद नजरें चुराना, 

दिखकर भी अनदेखा करना और फिर

बार बार नज़रो सें मुझे ढूँढना ये ही तो इश्क है।


मोहब्बत के फलक से देखा जब मैंने उन्हें,

वो सीढ़ियों को ही शायरी कर गए,

कदमों में काफिला था उसके बे-पनाह मोहब्बत का,

वो अल्फाज़ो से बेकसूरों को अल-हदा कर गए


कशिश-ए-दरखत में बिठा वो मुझे,

ख़्वाबो के छाव को ही अफसून कर गए,

आफ़ताब के तसव्वुर की एक झलक से मुझे,

वो लब दिखा कर तृष्णा कर गए।


जिस्म से कहर बरपा वो समा में,

अपनी अदा से ख़्वाबिदा कर गए,

जुल्फों को बांध के वो आहिस्ता ही मगर,

हवाओ को अर्श पर ही फना कर गए।


कहर है उनके नूर का इस कदर,

वो चाँद को ही ईद और करवाचौथ कर गए,

मुस्कान में उनकी फना है ये जहां,

उनके अश्क़ ही पानी को गंगाजल कर गए।


फितूर उनका जब चढा सर पर,

तन्हाई को भी महखाना कर गए,

राबता हुआ कुछ इस क़दर उनका मुझसे,

इस बहार दो जिस्म हम बन गए।


रहबर की झलक थी उनके तहज़ीब में जब मिले थे,

वो लहज़ा दिखा मेरा कत्ल कर गए,

दूधिया बदन की चमक बद-ए-सबा थी,

बेबस हयात को ही दिलचस्प कर गए।


इख़्तिहार उनके मोहब्बत के सीने में,

वो लबों से इनकार, निगाहों से इकरार कर गए,

आरज़ू है बस इश्क़-ए-दीदार के उनके,

वो मौत से मुझे उठा, चिता को ही राख कर गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance