STORYMIRROR

Debashis Bhattacharya

Romance

4  

Debashis Bhattacharya

Romance

प्यार इजहार न कर पाना

प्यार इजहार न कर पाना

1 min
662

तुमने मुझसे पूछे थे

क्यों मैं तुम्हे प्यार करता हूँ

मैं अपनी अन्तरात्मा के अंदरमहल

झाँका और फिर कहने लगा


पर किसी ने मेरी पुकार नहीं सुनी 

मुझे पता नहीं क्यों मैं

प्यारी कविता से

इतना प्यार करता हूँ


प्यार तो एह्सास हैं

जो कही नहीं जाती

जब तुम साथ हो


मैं आसमान में

चमकता हुआ सितारा हूँ

पर तुम जब साथ छोड़ देती


मैं खाई पर गिरा हुआ

एक टुटा पत्थर दिल हूँ

प्यार इजहार न कर पाना मेरा प्यार है 

जो टूट जाने से मारा हुआ शरीर है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance