जब देखा था पहली बार तुमको
जब देखा था पहली बार तुमको
जब देखा था पहली बार तुमको,
तब ज़्यादा फरक नहीं पड़ा था मुझको।
पर कोई तो बात थी तुममें,
जो बार बार देखने लगा मैं तुमको।
जब बार बार देखने लगा मैं तुमको, तुम्हारी अदाओं को, तुम्हारी प्यारी हरकतों को,
तब मेरे दिल ने फरमाइश की मेरे दिमाग से तुम्हें और जानने को।
जब और जानने लगा मैं तुमको,
तब और भी जानने लगा मैं तुमको,
पर यह बात कभी पता न चली तुमको।
कुछ पता न चला तुमको,
क्योंकि न हिम्मत आई उतनी मुझको।
और जब हिम्मत आई मुझको,
तब कोई था तुम्हारे पास जो खुशी दे रहा था तुमको।
तब दुख तो हुआ बहुत मुझको,
पर आगे बढ़ने के अलावा और कुछ बेहतर सूझा न मुझको।

