STORYMIRROR

Anuradha Shrivastava

Romance

4  

Anuradha Shrivastava

Romance

सपने अपने

सपने अपने

1 min
301

बीच राह जो छूट जाऐ

इस तरह तो हाथ मैंने नहीं थामे


माना करने थे पूरे सपने 

पर पीछे छूट रहे थे मेरे अपने


छोड़ इनको कैसे जाते 

रह रह के ये याद आते 


कैसे करते अनदेखे सारे इशारे

रोकते रहे जो मेरे कदम सारे


कहीं अपने ही सपने न बन जाऐ

सो सपने अपने दफन कर आऐ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance