सपने अपने
सपने अपने
बीच राह जो छूट जाऐ
इस तरह तो हाथ मैंने नहीं थामे
माना करने थे पूरे सपने
पर पीछे छूट रहे थे मेरे अपने
छोड़ इनको कैसे जाते
रह रह के ये याद आते
कैसे करते अनदेखे सारे इशारे
रोकते रहे जो मेरे कदम सारे
कहीं अपने ही सपने न बन जाऐ
सो सपने अपने दफन कर आऐ।

