इश्क असली
इश्क असली
दिशा बदली हमने दशा बदली
पर दर्द ने अपनी जगह ना बदली
जब भी ढूंढ़ा रास्ता मोहब्बत का
यह दर्द मिला हमें हर गली गली
कितना कहां छोड़ ऐ दर्द मेरा पीछा
हंसकर करने लगा वो हम से दिल्लगी
बोला मिलता कब है यहां इश्क असली
पल में हो जाती यहां कहानी नकली
हर कोई है यहां दर्द ए इश्क में घायल
ये इश्क की गली किसको नहीं है फली
गए मिट यहां कई पारो देवदास
किस्मत यहां किसी की नहीं बदली