रंग लाल
रंग लाल
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ऊर्जा बनकर रगों में बहता
लाल रंग मुझको जिंदा रखता
आरंभ से अंत तक साथ निभाता
मुझको हर रूप में लाल रंग भाता
छाया रहता जो पूरा जीवन
इश्क का रंग लाल कहलाता
मोहब्बत का गुलाब बन जाता
मुझको हर रूप मे लाल रंग भाता
बेटा मां का लाल कहलाता
जीवन में खुशियां लाता
माथे का तिलक कहलाता
मुझको हर रूप में लाल रंग भाता
चूड़ी बिंदी चुनरी माहवर
सोलह श्रृंगार लाल भाता
बिंदी बन दुल्हन के माथे सजता
मुझको हर रूप में लाल रंग भाता
लाल कफ़न ओढ़ देह चिता
की लाल अग्नि में समा जाता
अस्थिकलश बन गंगा में बह जाता
मुझको हर रूप में लाल रंग भाता।