Anuradha Shrivastava
Abstract Romance
व्याकुल है मन
बांहों में रहने दे सनम
बिखरे है टूटकर
डाली से हमदम
उड़ रहे हैं सूखे पत्ते से
इधर उधर हम
समेटना हैं तुम्हें
जल जाएंगे वरना हम
फैला है धुआँ
भस्म हो जाएंगे हम
जी रहे हैं हम तो तेरे
इश्क़ में ही हमकदम
बुद्ध हुए बिन...
कहां आसान होत...
रंग लाल
कुछ मीठा हो ज...
इश्क का
इश्क असली
रहने दे
बदलता मौसम
चांद
कुछ पल
ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है। ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है।
बुरा मत सुनों, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो। बुरा मत सुनों, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो।
प्रकृति का कर मान, घरों में खुद को कैद करो। प्रकृति का कर मान, घरों में खुद को कैद करो।
हाथों में फावड़े हैं हर रोज़ की तरह, मुझे कहाँ ख़बर है कि आज दिवस मज़दूर है। हाथों में फावड़े हैं हर रोज़ की तरह, मुझे कहाँ ख़बर है कि आज दिवस मज़दूर है।
आख़िर कब तक सह पाएँगे बेदर्द ज़माने के यह सितम ! आख़िर कब तक सह पाएँगे बेदर्द ज़माने के यह सितम !
भला हो हमारे गुरुत्व का भला हो हमारे गुरुत्व का
सम्यक जीवन की है राह निराली बुरा न देखो, न सुनो, न कहो सहेली सम्यक जीवन की है राह निराली बुरा न देखो, न सुनो, न कहो सहेली
जैसे सफ़ेद रंग में छुपा सात रंगों का ख़ज़ाना है। जैसे सफ़ेद रंग में छुपा सात रंगों का ख़ज़ाना है।
आसमाँ से ऊंचा उसका कद होता है जब वो हक़ीक़त में सच्चा होता है। आसमाँ से ऊंचा उसका कद होता है जब वो हक़ीक़त में सच्चा होता है।
बहुत छोटी सी है ज़िंदगी, खुलकर जियो, यही सबको समझाया है। बहुत छोटी सी है ज़िंदगी, खुलकर जियो, यही सबको समझाया है।
यही नसीहत अपने बच्चों को दे जाओगे। तभी देश के सच्चे साथी कहलाओगे। यही नसीहत अपने बच्चों को दे जाओगे। तभी देश के सच्चे साथी कहलाओगे।
प्रदूषण पे लगाम का अब महत्व समझ में आता है, प्रदूषण पे लगाम का अब महत्व समझ में आता है,
इतना कुछ है दुनिया में कानों में रस घोलने को। इतना कुछ है दुनिया में कानों में रस घोलने को।
हम गांधी जी के तीन बंदर। हाँ जी हम तीन बंदर ! हम गांधी जी के तीन बंदर। हाँ जी हम तीन बंदर !
झरने में भी स्थिर नज़र आया ये चेहरा। झरने में भी स्थिर नज़र आया ये चेहरा।
उस महापुरुष का एक ही सिद्धांत बुरा न देखो बुरा न बोलो बुरा न सुनो। उस महापुरुष का एक ही सिद्धांत बुरा न देखो बुरा न बोलो बुरा न सुनो।
एक मजदूर हूँ मेहनत से डरता नहीं। एक मजदूर हूँ मेहनत से डरता नहीं।
संविधान से सशक्तमान, अब तुम आधुनिक नारी। संविधान से सशक्तमान, अब तुम आधुनिक नारी।
वैसे हर शूल एक फूल की ही बाती है हर एक भूल एक नया पैग़ाम लाती है। वैसे हर शूल एक फूल की ही बाती है हर एक भूल एक नया पैग़ाम लाती है।
दु:खों की भट्टी में तप कर जीवन खुशगवार होता है। दु:खों की भट्टी में तप कर जीवन खुशगवार होता है।