अबकी सावन
अबकी सावन
अबकी सावन तुम बिन बरसा
मन का कोना- कोना फिसला
कुछ याद की भींगी खुश्बू है
कुछ खट्टी मीठी- यादें हैं
मौसम भी कुछ नम सी है
कुछ भीगा सी आँचल भी है
रात के जैसे सिरहाने पे समंदर की लहरें हैं
नदी के एक पखवारे पर कुछ उथला -उथला सा भी है
अबकी सावन इन आँखों में बारिश की हल्की बुँदे हैं
अबकी सावन तुम बिन बरसा
मन का कोना- कोना तरसा..