I BELIEVE IN MYSELF
सब कुछ कितना अच्छा होता सब कुछ कितना अच्छा होता
मां की याद आती है, मां की याद आती है,
अबकी सावन तुम बिन बरसा मन का कोना- कोना फिसला। अबकी सावन तुम बिन बरसा मन का कोना- कोना फिसला।
देख कैसे है खड़े सब स्वार्थ का झोला लिये आज बेकल उठ चला मन दौड़ने को। देख कैसे है खड़े सब स्वार्थ का झोला लिये आज बेकल उठ चला मन दौड़ने को।
और वो आखिरी मुलाकात याद आती हैं। और वो आखिरी मुलाकात याद आती हैं।
हक है मुझे अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने का, हक है मुझे अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने का,
प्रतीक बन गयी, जिसे तोड़ना जैसे सर्वस्व छुटना है। प्रतीक बन गयी, जिसे तोड़ना जैसे सर्वस्व छुटना है।
बन सकों तो पखेरू बनों तुम शीश झुकाए संसार मिलेगा। बन सकों तो पखेरू बनों तुम शीश झुकाए संसार मिलेगा।
मर जाता है अंदर से कुछ जब दमित किया जाता हैं भावनाओं को। मर जाता है अंदर से कुछ जब दमित किया जाता हैं भावनाओं को।