Aradhana Kushwaha
Tragedy
माँ की बात करते हो तो
माँ की याद आती हैं,
मेरा अंतर्मन कहर उठता है
और वो आखिरी मुलाकात याद आती हैं।
मां
अबकी सावन
बेकल मन
माँ
हाँ हूँ मैं ल...
मेरी स्वतंत्र...
परिवर्तन
निराकार अंधेर...
किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी। किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी।
पुस्तकों में जो कुछ वर्णन पढ़ा था उससे भी भीषणतम क्रूर कलियुग है। पुस्तकों में जो कुछ वर्णन पढ़ा था उससे भी भीषणतम क्रूर कलियुग है।
नाराज हूँ...!! उन तमाम बच्चों से जो फ्रस्ट्रेशन में आकर खो देते हैं अपना जीवन। नाराज हूँ...!! उन तमाम बच्चों से जो फ्रस्ट्रेशन में आकर खो देते हैं अप...
जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर। जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर।
एक सवाल मेरा भी सुन लो मैं धरती की पुकार हूँ मैं जन्मी एक नन्ही सी जान इंसानियत पर। एक सवाल मेरा भी सुन लो मैं धरती की पुकार हूँ मैं जन्मी एक नन्ही सी जान ...
मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है
मुझे माफ़ करना पुष्प, मैं अपने दिल को समझा न पाया, तुम्हें तो पता ही होगा कि दिल के पास। मुझे माफ़ करना पुष्प, मैं अपने दिल को समझा न पाया, तुम्हें तो पता ही होगा कि द...
जीवन इतना सरल नहीं जीवन इतना सरल नहीं
और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में। और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में।
अगन लगी हुई है,मेरे इस हृदय के बहुत भीतर। अगन लगी हुई है,मेरे इस हृदय के बहुत भीतर।
'जीवधारी देश', ख़ुद को मानते हैं राज, सत्ता सब बदलना चाहते हैं। 'जीवधारी देश', ख़ुद को मानते हैं राज, सत्ता सब बदलना चाहते हैं।
हे ब्रह्मदेव ! तुम नहीं जानते कितना कठिन होता है। हे ब्रह्मदेव ! तुम नहीं जानते कितना कठिन होता है।
तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर आ जाता हू तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर ...
पड़ी रहती हूँ घरों में एक सजावट की वस्तु बनकर। पड़ी रहती हूँ घरों में एक सजावट की वस्तु बनकर।
अथाह स्वेद बहाती है। अपनी जठराग्नि बुझाती है।। अथाह स्वेद बहाती है। अपनी जठराग्नि बुझाती है।।
राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1। राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1।
व्यभिचारी भी क्या आखेटक नहीं? मासूम बच्ची को बना शिकार हवस का। व्यभिचारी भी क्या आखेटक नहीं? मासूम बच्ची को बना शिकार हवस का।
मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थकान भी वापस लेती हूँ... मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थ...
आज जब सदियों की खोज के बाद उसने ढूंढ़ लिया है 'ना ' शब्द। आज जब सदियों की खोज के बाद उसने ढूंढ़ लिया है 'ना ' शब्द।
न जाने क्यों मिलने पर हमारे ऐतराज़ था बहुत ज़माने को शामिल हो गए सारे एक तरफ और रौंद डाला प्या... न जाने क्यों मिलने पर हमारे ऐतराज़ था बहुत ज़माने को शामिल हो गए सारे एक तरफ...