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Prafulla Kumar Tripathi

Romance

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Prafulla Kumar Tripathi

Romance

यक्ष प्रश्न !

यक्ष प्रश्न !

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जब कभी चिंता की बदली,

घुमड़ कर मुझ को डरातीं।

वेदना के उन क्षणों में,

याद, बेहद है सताती।।


तुम हमारे पास थीं,

सब कुछ हमारे पास था।

ज़िंदगी की सांस थी,

इक आस था, विश्वास था।।


हर तरफ थे फूल,

कांटा ज़िंदगी से दूर था।

गुल भी खुश, गुलशन भी खुश,

बागों में अमनो-बहार था।।


अब कटे कटती ना रातें,

और बीते अब ना दिन।

यूं लगे की बंद होती,

दिल की धड़कन तेरे बिन।।


जब कभी मन आंगने में,

बूंद बनकर तुम उतरती,

सोख लेता मैं तुम्हें ज्यों,

सोखती धरती धधकती।।


दूर जाकर भी भला क्या,

छोड़ पाओगी मुझे ?



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