ज़िक्र
ज़िक्र
तेरा ज़िक्र किताबों सा
मेरी फ़िक्र गुलाबों सी
मेरे शौक़ परिंदों से
तेरी नज़र आफ़ताबों सी
ये क़िस्सा है कोई ख़्वाब सा
ये कहानी मिर्ज़ाओं सी
तू देख क्या क्या बदल गया
ना ये फ़िजा जश्न ए शौक़ की
ना ये रंगत आबशारो की॥

