* तु मेरी शायरी *
* तु मेरी शायरी *
झुका कर नजरें जो उस नाजनीना ने नजम अपनी सुनाई है
कसम से मच गया तहलका गजब की तबाही सी मचाई है।।
हरफ – ब – हरफ वो शेर गडती है मिला कर वो गजल लिखती है
अदायें तो जरा देखो उसकी क्या अजीब सी खनक रखती हैं।।
शहर में हो रहा चर्चा हर इक की जुबान तक बात आई है
झुका कर नजरें जो उस नाजनीना ने नजम अपनी सुनाई है।।
है उसकी आबाज में कसक गला उसका वीणा के स्वर जैसा
अदायें दिलरुबा जैसी तो अन्दाज है पखावज की थाप जैसा।।
बासुरी सी स्वर लहरी ने हर एक महफिल में रौनक फैलाई है
झुका कर नजरें जो उस नाजनीना ने नजम अपनी सुनाई है।।
कल रात बीती सपने में मिरे अचानक से आ गई थी वो
बैठ कर पेतीयाने चारपाई के मेरे पैरों को सह्ला रही थी वो।।
सकपका कर जो मैं उठ बैठा तो पाजेब उसकी खंखनाई थी
बज उठे कंगना और चूड़ी एक साथ् जब रुबाई की खूशबू आई थी।।
झुका कर नजरें जो उस नाजनीना ने नजम अपनी सुनाई है
कसम से इस *अबोध* के दिल में गजब की तबाही सी मचाई है।।
