शौख ए बे वफाई
शौख ए बे वफाई
तमाम अक्ल के बखिये मेरे, उधेड़ दिए तुमने
चाक जिगर ओ दिल, खूँ से लथेड़ दिए तुमने
तुमने जाना ही नहीं, एहसास ए मुहब्बत को
ख़ुद से ख़ुद ख़ुद दलीलों को, नबेड़ दिए तुमने
नबेड़ ( खत्म, निपटारा )
अजब तमाशे रचे है तुमने, यक ब यक बार हा
इस दिल के सौज़ को भी , खखेड़ दिए तुमने
खखेड़ ( हंगामे )
बात की बातों में दी नहीं जाती तव्वजो तुम से
बे बात की बातों में, जंग जू छेड़ दिए तुमने
जंग जू ( लड़ाई झगड़े )
किस अदा से कहोगे, की चाहत है तुम्हें हमसे
इन अंदाज़ ए दिल से हमें, खदेड़ दिए तुमने
चाक दिल को लिए, अब कहा फिरे 'हसन'
तमाम शौख ए दिल को, सुकेड़ दिए तुमने
