STORYMIRROR

MS Mughal

Classics

4  

MS Mughal

Classics

यार नज़र आता है

यार नज़र आता है

1 min
294


हर  तरफ़  यार नज़र आता है

ग़ुल व गुलज़ार नज़र आता है 


ला'ल ओ ख़ूब रुख़ ए ज़ेबा वो

रू चमक-दार नज़र आता है


इश्क़ भी ब रस्म हुआ दिलबर से

हर नज़र यार  नज़र आता है 


मैं 'हसन' खो ही गया दिलबर में 

यार दिल दार  नज़र आता हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics