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MS Mughal

Classics

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MS Mughal

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यार नज़र आता है

यार नज़र आता है

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हर  तरफ़  यार नज़र आता है

ग़ुल व गुलज़ार नज़र आता है 


ला'ल ओ ख़ूब रुख़ ए ज़ेबा वो

रू चमक-दार नज़र आता है


इश्क़ भी ब रस्म हुआ दिलबर से

हर नज़र यार  नज़र आता है 


मैं 'हसन' खो ही गया दिलबर में 

यार दिल दार  नज़र आता हैं।


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