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MS Mughal

Others

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MS Mughal

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आशनाई

आशनाई

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ख़ाक ए लहद जो उठाई दीवानों की 

पाई गई आशनाई पैमानों की 


मुल्ला गया ही नहीं मयखाना कभी 

तारीफ़ कैसे करें वो मयख़ानों की


देखी नहीं ज़ाहिदों ने शौक़ ए नज़र

ख़ुशबू नहीं जानता वो पैमानों की 


फ़तवा दिया, ख़ुद नविश्ता औराक़ से

ता'रीफ़ करता गया ख़ुद के तानों की 


ना आश्ना ए मुहब्बत है वो 'हसन'

पाई नहीं जिस ने सोहबत दीवानों की 


ख़ाक ए लहद ( कब्र की मिट्टी ) 

ख़ुद नविश्ता औराक़ ( ख़ुद लिखी हुई किताब ) 





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