आशनाई
आशनाई
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ख़ाक ए लहद जो उठाई दीवानों की
पाई गई आशनाई पैमानों की
मुल्ला गया ही नहीं मयखाना कभी
तारीफ़ कैसे करें वो मयख़ानों की
देखी नहीं ज़ाहिदों ने शौक़ ए नज़र
ख़ुशबू नहीं जानता वो पैमानों की
फ़तवा दिया, ख़ुद नविश्ता औराक़ से
ता'रीफ़ करता गया ख़ुद के तानों की
ना आश्ना ए मुहब्बत है वो 'हसन'
पाई नहीं जिस ने सोहबत दीवानों की
ख़ाक ए लहद ( कब्र की मिट्टी )
ख़ुद नविश्ता औराक़ ( ख़ुद लिखी हुई किताब )