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MS Mughal

Others

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MS Mughal

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साकी

साकी

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निगाहों में अजब, आता रहा साक़ी

मिरे दिल को बहुत, भाता रहा साक़ी


चले जो क़दम मेरे, देख लो तुम भी 

कि पैमाना मिरा, छलका रहा साक़ी


किताब ए इश्क़ से भी, हो गया इश्क़

अजब दर्स ए अमल, गाता रहा साक़ी


सर ए राह ए गुलिस्ताँ में नज़र आया 

जिधर जाता उधर बुलाता रहा साक़ी


'हसन' खोता गया ख़ुद को मयखाने में

कि बेहद मय कुहन, देता रहा साक़ी



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