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Kunal Meghwanshi

Tragedy

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Kunal Meghwanshi

Tragedy

कीमत जिन्दगी की

कीमत जिन्दगी की

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हालात अब हद से ज्यादा

बिगड़ने लगे है

खामोशी से भूखे-प्यासे बड़ रहे थे

वो अपने घर की ओर

अपने बच्चों की तकलीफें देख

वो कमजोर होकर भी लड़ने लगे है

आसमान से ऊँचा हौसला लिए

निकले थे वो मंज़िल की ओर

वक्त के आगे अब वो काँच की

तरह बिखरने लगे है


बड़ी हिम्मत है उन नन्ही निगाहों में 

किन्तु अब उस हिम्मत के छाले

उनके पैरों में दिखने लगे है

हजारों मासूम सड़कों पर है

अपनी जिन्दगी हाथ में लिए

और कुछ चुनिन्दा लोग हवाई-जहाज

से घर की ओर लौटने लगे है

शायद इंसानी आँखें देख नहीं

पा रही तकलीफें इन मजदूरों की

क्योंकि अब तो कुत्ते भी

इन्हें देख दर्द से भोंकने लगे है



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