रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
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रिश्तों की डोर होती है बड़ी कमजोर,
एक बार जो टूट जाए तो पड़ जाती है इसमें गाँठ,
कितनी भी कोशिशें करो फिर नहीं बनती बात,
सच्चे मन से निभाये जाने चाहिये रिश्ते,
जो निभा दे वो होते हैं फ़रिश्ते,
रिश्तों में नहीं होना चाहिये झूठ और धोखा,
गर दगाबाजी की तो खो दोगे सम्भलने का मौका,
जिन रिश्तों में नहीं होती परवाह,
उम्र भर के लिये रह जाती है उसमें
फिर दर्द की टीस और आह।