बेरोजगार
बेरोजगार


बेरोजगार की अपनी
अलग कहानी है,
हाथ में डिग्री और
आँख में पानी है।
पदक से अब मैं
सब्जी को तौलूंगी,
प्रमाण-पत्र के संग
रद्दी की दुकान खोलूंगी।
हर दिन मेरा एक
आँसू बहता है,
जब नब्बे प्रतिशत के संग
भी बटुआ खाली रहता है।
हुनर भी नहीं रहा
अब मेरा रक्षक,
आरक्षण बन गया
है अब मेरा भक्षक।
चुनाव में आती है
भर्ती की महक,
मंत्री बनते ही भर्ती
में लगती है दहक।
बेरोजगार की अपनी
अलग ही कहानी है,
हाथ में डिग्री और
आँख में पानी है॥