सुख के दिन आए कि आए
सुख के दिन आए कि आए
इक पल महसूस ना होता खुशी का वक्त सुहाना
किस रोग का मरीज बना आजकल का जमाना
जरा सी खुशी के लिए यहां पर हर कोई तरसता
बाकी सारा समय नयनों से केवल पानी बरसता
आजकल नींद खुलती है किसी तनाव के साथ
दिन भर तनाव में रहते सोते भी तनाव के साथ
समझ ना आता इंसान ने खुद को कहां फंसाया
सुखमय जीवन को उसने कैसे दुख में उलझाया
एक छोटी सी शिक्षा हमें समझ नहीं क्यों आती
खुशी देने से ही जीवन में खुशी पलटकर आती
दुख दिया अगर किसी को तो सुख नहीं मिलेगा
सुख के बिना तेरा जीवन मुरझाया हुआ मिलेगा
सुख देते जाना तूँ सबको चाहे कुछ भी हो आए
कुछ धीरज रख तेरे सुख के दिन आए कि आए!