Mukesh Kumar Modi

Tragedy

4  

Mukesh Kumar Modi

Tragedy

सुख के दिन आए कि आए

सुख के दिन आए कि आए

1 min
281



इक पल महसूस ना होता खुशी का वक्त सुहाना

किस रोग का मरीज बना आजकल का जमाना


जरा सी खुशी के लिए यहां पर हर कोई तरसता

बाकी सारा समय नयनों से केवल पानी बरसता


आजकल नींद खुलती है किसी तनाव के साथ

दिन भर तनाव में रहते सोते भी तनाव के साथ


समझ ना आता इंसान ने खुद को कहां फंसाया

सुखमय जीवन को उसने कैसे दुख में उलझाया


एक छोटी सी शिक्षा हमें समझ नहीं क्यों आती

खुशी देने से ही जीवन में खुशी पलटकर आती


दुख दिया अगर किसी को तो सुख नहीं मिलेगा

सुख के बिना तेरा जीवन मुरझाया हुआ मिलेगा


सुख देते जाना तूँ सबको चाहे कुछ भी हो आए

कुछ धीरज रख तेरे सुख के दिन आए कि आए!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy