तूलिका (हरिगीतिका छंद)
तूलिका (हरिगीतिका छंद)
दे तूलिका ऐसी मुझे जो दर्द सबका हर सके।
बेरंग हो जो जिंदगी तो रंग नूतन भर सके।
किस्मत किसी की ना भली तो तूलिका जादू भरी।
बदकिस्मती की कालिमा को साफ़ झटपट कर सके।
जब भी समय के साथ रिश्तों की चमक फीकी पड़े।
तब रंग ले कर प्यार का नाते सजा सुन्दर बड़े।
जो दिल अमावस की तरह अन्धकार में डूबे हुये।
ये तूलिका उन सब दिलों में चाँद तारों को जड़े।
भगवन सुनो ये प्रार्थना इस भक्त की यह कामना।
कमजोर जो इंसान हो तुम हाथ उसका थामना।
जो भी हमारी हो कमी वो तूलिका पूरी करे।
संसार में सब हों सुखी दुख से कभी ना सामना।
