तुम कहीं
तुम कहीं
तुम कहीं चाय तो नहींं, जो
दिनबदिन "Hot" होते जा रहे हो,
तुम कही ख्वाब तो नहीं, जो सच होता जा रहा है !
तुम कही आयना तो नहीं, जो खूबसूरत दिखाए जा रहे हो !
तुम कही रात तो नहीं, जो मुझे दिन में तारे दिखाए जा रहे हो !
तुम कही प्यार तो नहीं, जो मुझे पूरी उम्र कैद रखने की सोचे जा रहे हो !
तुम कही दोस्त तो नहीं, जो मुझे गले से लगाए जा रहे हो !
तुम कही किसी के इन्तजार में तो नहीं, जो किसी की याद में खोए जा रहे हो !
तुम कही खुली क़िताब तो नहीं, जो तुम्हे सुकून से पढ़े जा रहे हो !
तुम कही मुसाफिर तो नहीं, जो किसी इंतजार किए जा रहे हो !
तुम कही सपना तो नहीं, जो हमे जगाए जा रहे हो !
तुम कही "वही " तो नहींं, जो हर वक्त याद आ रहे हो !

