शुक्रियादा
शुक्रियादा
यूँ तो रहना चाहता है, हर कोई खुशहाल
मगर कभी -कभी, हो जाता है मन उदास।
सोचते हैं, मिलेगी शांति हर समय
मगर कभी- कभी सताा देता है भय।
कभी सताती ,पढाई की चिंता
तो कभी सताता भाई है,
मम्मी समझा कर देेेेती है
सारे दुखोंं का कलयान है।
जीवन मैं तो आना है
आकर चले जाना है,
मुसीबतें तो आती हैं ,फिर चली जाती हैं
उनसे लड़कर आगे बढते जाना है।
बाप के कर्म दिखते तो नहीं है,
परंतु समझाकर कर देता है वो
मेरी हर मुुुश्किल आसान,
तभी तो कहते हैं उसको भगवान।
गणित हो या कोई और विषय
समझा कर बना देता है वो महान,
हाँ वो शिक्षक ही तो है जो
बना देता है मूर्ख को भी इंसान।
इन सभी का कैसे करू शुक्रिया
जिनके बिना जीना बेकार है,
क्योंकि इन्होने ही तो सिखाया मुुझे
ज़िंदगी जीने का हर अंदाज़ है।
खुश रहोगे तो ही,
हर मुश्किल आसान है,
खुश रहना,और दूसरो को खुश रखना
दुखों को दूर रखने का बस एक यही ईलाज है।
यूँ तो रहना चाहता है ,हर कोई खुशहाल
मगर कभी - कभी हो जाता हे मन उदास,
सोचते हैं मिलेगी शांति हर समय
मगर कभी - कभी सता देता है भय।
