इंसानियत
इंसानियत
यूँ तो कहता है इंसान
सब गुण हैं मुझमे
कभी सोचा है क्या तूने
इंसानियत की कमी है तझमे
जानवरों को कभी घमंड न हुआ
कि इंसान से बेहतर हैं हम
लेकिन अफ़सोस वो बेचारे
किसी को बता न सके अपना गम
पंछी भी पालते हैं अपने बच्चों को
बिना सोचे कि ये हमें त्याग देंगे एक दिन
लेकिन हौसलों की उडान भरना सिखाते हैं वो
बिना सोचे कि उनके लिये हम पराये हो जाएंगे एक दिन
पैसों से सब खरीद ले तू ...ऐ इंसान
इंसानियत की बात आयेगी न जब
तेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी
और तू सोचेगा इंसानियत कहाँ से खरीदू अब....
इंसानियत तुझमे में भी है
लेकिन तुझे ये बताये कौन
तूने तो समझ रखा है
इंसानियत तो कस्तूरी जैसी है
जो मुझे ढूंढनी बजारों मे ही है.......
