अल्फाज
अल्फाज
खामोश से हैं
कुछ अनकहे अल्फाज,मेरे बेचैन दिल के कई राज
मेरी ख़ामोशी भरी आवाज.....
मगर उम्मीद किसीसे नही,शायद इसलिये खुश हूँ
कोई गिला, शिकवा भी नही...
इस छोटी सी जिंदगी में,नाराज़गी किसी से नही
बस मोहब्बत की ख़ुशबू,बिखेरना चाहती हूँ
तू जो पुकारे मुझे, इस ख्याल को भी
एक बार करीब से जीना चाहती हूँ
तेरे आशिकी की धूप में रहकर
अपना ये जहाँ रौशन करना चाहती हूँ।
