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MANISHA JHA

Romance

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MANISHA JHA

Romance

हर दफा

हर दफा

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मैं हर सुबह तुम्हें भूल जाने की दुआ करती हूँ

मैं हर रात होते -होते यही बात भूल जाती हूँ

मैं तुझे मैसेज ना करने की कसम खाती हूँ

और हर दफा सिर्फ एक कसम तोड़ने की गुंजाइश रखती हूँ

हर रोज तुझे ना सोचने को जहन में एक दीवार बनाती हूँ 

कुछ देर होते ही मैं खुद वो दीवार तोड़ देती हूँ

अब तेरे लिए सुकून ना खोने की चाहत रखती हूँ

अपने दिल के सुकून के लिए एक तुझ पर ही एतबार करती हूँ

एक तुझ पर ही भरोसा है, हर लम्हा सोचती हूँ

अपना ही भरोसा हर पल ही तोड़ती हूँ



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