STORYMIRROR

MANISHA JHA

Romance

3  

MANISHA JHA

Romance

तेरे जिक्र से

तेरे जिक्र से

1 min
139

रूह मेरी मुस्काती है

दिल की हर तार सुर लगाती है

बस और क्या

मेरी खुशी की बकेट भर जाती है

इस अंदरूनी हरकतों से आँख छलक जाती है

मेरे बदन का आँगन फूल सा महकता है

ये जो रिश्ता है अपना

चन्दन सा सुंगन्धित रहे, मंदिर सा प्रदीप्त रहे 

सूरज सा चमके

और तेरे जहन में भी मेरी यादों को भरे 

तू भी मेरी झलक को तरसे

जब ये नज्म तुझ तक पहुँचे

तू खुद को रोक ना सके, मुझसे मिलने पुणे पहुँचे 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance