मै रहु या ना रहु
मै रहु या ना रहु
कल तक ज़िंदगी बहुत उलझी उलझी लग रही थी,
आज प्यार का एहसास होते ही
ज़िंदगी सुलझी सुलझी लगने लगी है।
पर अब उलझने बढ़ जाएंगी,
और इस प्यार के रास्ते मै मुश्किलें बोहोत आएंगी।
पर तेरा हाथ कभी नहीं छोडूंगी,
तेरे साथ ही जीतूंगी और तेरे साथ ही गिरूंगी।
पता है मुझे प्यार पे भरोसा नहीं रहा तुझे,
पर इससे कोई फर्क नही पड़ता मुझे।
हा मानती हूं ज़िंदगी मै तुने ठोकर खाई है प्यार में,
पर अपना प्यार कैसे भूला दूँ मै।
तू चाहे मेरा हों या नहीं,
पर मै हमेशा तेरी ही रहूंगी।
तू चाहे किसी की भी मंजिल क्यों ना
मैं हमेशा रहूंगी तेरी रही।
तेरे बिखरे हुए विश्वास को फिर जोदुंगी,
तेरे बिखरे हुए दिल को समेटूंग।
नहीं हारने दूंगी इस बार,
क्यूकी के तू ही है मेरा आखरी प्यार।
मेरी हर सासों पे सिर्फ तेरा नाम होंगा,
जब तक प्यार इस दुनिया मै ज़िन्दा रहेगा।
अब चाहे हम इस जन्म में मिले या ना मिले,
हम जरूर मिलेंगे उस पार।
कहीं से बातिएं जोह अधूरी रहेंगी इस बार,
वो जरूर पूरी होंगी उस पार।
वहा हमें अल्फ़ाज़ की जरूरत नहीं होंगी,
हमारी आंखें करेंगी सारी गुफ्तगू,
चाहे अब मैं रहूँ या ना रहूँ।

