STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

याद आ रही है

याद आ रही है

1 min
323

हमें आज उनकी बहुत याद आ रही है

ख़ुदा कसम वो मेरी जान ले जा रही है


कुछ पल का ही सही साथ तो था उनका

बीते लम्हे याद कर आंख भर आ रही है


ये प्यार का खेल भी अजीबोगरीब है,यार

अपने दुश्मन का ही धड़कने गीत गा रही है


भरी महफ़िल में उनकी यादे तन्हा करती है

अब ये बारिश की बूंदे भी मुझे जला रही है


ख़ुदा खैर करे,अब किसी से मोहब्ब्त न हो,

उनकी यादो की महक सांसो से आ,जा रही है


तू मुझे भूला है,साखी लेकिन में तुझे नही,

तेरी यादो के अक्स से ही संगदिल सनम 


इस आईने की सूरत सबको नज़र आ रही है

हमें आज उनकी बहुत याद आ रही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance