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Amit Kumar

Romance

4  

Amit Kumar

Romance

मुस्कुराते रहो

मुस्कुराते रहो

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बहुत दिनों से तुम 

याद आ रहे हो

शायद यही सोच कर 

तुम भी इतरा रहे हो


अभी भी कुछ गुंजाइश 

बाकी रह गई है मुझमें 

शायद फ़ना होने की

और इस राज़ को जानकर


तुम मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे हो

अनजान भी बनते हो

और जानते भी सब कुछ हो

जाने किस तरह से तुम


अपने और मेरे दिल को बहला रहे हो

अब एक ख़्वाहिश है दिल की

तुम किसी तरह यूँ ही दिल में

बसे रहो खुश रहो मुस्कुराते रहो


और इसी तरह मेरे ख्यालों में

ख़्वाबों में आते जाते रहो।


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