जरुरी नहीं
जरुरी नहीं
ज़रूरी नहीं लबों पर
हर बार रब का नाम आये
वह भी इबादत है जो
किसी के काम आये
किसी की मुफसिली में,
किसी की मजबूरी में
किसी मासुम की हसीं में
बेशक चाँद सितारे नहीं
आसमाँ के तारे नहीं
किसी घर के दिये तू जला दे
बन दामन किसी का
किसी की रौनक बन जाये
ज़रूरी नहीं लबों पर
हर बार रब का नाम आये
ना किसी पर रोष कर
ना किसी पर दोष मढ
खुद के लिए जिए तो क्या जिए,
जी ऐसे की
किसी की दुआओं में तू आये
हसती कुछ ऐसी बना
रब से पहले किसी को
तेरा नाम याद आये
ज़रूरी नहीं लबों पर हर
बार रब का नाम आये।