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Sakshi Mutha

Others

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Sakshi Mutha

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पापा

पापा

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बनके आकाश पिता मेरे साथ चलते है 

उनकी आशीष बनके 

ये बादल जब तब बरसते है 


नजरें जब भी देखती है आसमां को 

लगता है पिता चाँद, सूरज बन 

मेरे जीवन को रोशन करते हैं 


जब जब हवाएं चलती है 

पिता की ममता बन मुझ पर 

मेरे माथे को चूमते हैं

धूप भी जब मुझे छू जाती है

पिता की हिदायतें तब तब याद आती है 


रात को सितारे जब आसमां में चमकते हैं 

आँखों में अश्रु लिए मेरे नैन 

उनको ही ढूँढ़ते हैं 

बनके आकाश पिता मेरे साथ चलते हैं 



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