मोहब्बत
मोहब्बत
सलीका हो अगर भीगी हुई आँखो को पढ़ने का
तो बहते हुए आँसू भी अक्सर बातें करते है
सच्ची मोहब्बत को शब्दों की क्या जरुरत
खामोशीयों से भी मोहब्बत का
हक़ अदा किया करते हैं
इश्क़ में भूलकर वजूद अपना
जाने अनजाने ही सही
एक दूजे की परवाह कर लिया करते है
उम्मीद भी ना हो पाने की
फिर भी राह तकती नज़रें
इंतजार की हद तक
उनके आने का इंतजार कर लिया करते है