सहेजती अश्रु अँखियाँ, मिलन आस लिए सपने समेटे बैठी। सहेजती अश्रु अँखियाँ, मिलन आस लिए सपने समेटे बैठी।
धूप भी जब मुझे छू जाती है पिता की हिदायतें तब तब याद आती है धूप भी जब मुझे छू जाती है पिता की हिदायतें तब तब याद आती है
जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल, यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता है बीता हुआ कल जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल, यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता है बीता...
आज दूरियों में समझे हैं, एक दूजे के बिन है हमारी अधूरी कहानी आज दूरियों में समझे हैं, एक दूजे के बिन है हमारी अधूरी कहानी