परदे की ओंट से झांकता सूरज। कई टुकड़ों में बिखरा है। परदे की ओंट से झांकता सूरज। कई टुकड़ों में बिखरा है।
गुलाब के चक्कर में, मैं कांटों से इश्क़ लड़ाता रहा। गुलाब के चक्कर में, मैं कांटों से इश्क़ लड़ाता रहा।
जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल, यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता है बीता हुआ कल जब कभी मिलते हैं सुकून के कुछ पल, यादों के झरोखों से झांकता आ ही जाता है बीता...