Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Meenakshi Gandhi

Abstract Others

4.7  

Meenakshi Gandhi

Abstract Others

कोरोना - एक सीख

कोरोना - एक सीख

1 min
476


कोरोना का ऐसा दौर है आया,

जिसने सबकी जिंदगी को हिलाया,

ना सोचा था कि ऐसा भी वक़्त आ जाएगा,

एक दूजे के पास जाने से हर कोई कतरायेगा ।।


जब हम थे अपनी मर्जी के परिंदे,

हमने प्रकृति को किया बदहाल है,

और अब जब हम हैं पिंजरों में बंद,

तो प्रकृति बेहद खुशहाल है ।।


 परिवारों के बीच रहकर भी,

 हमने किसी की कदर ना जानी,

आज दूरियों में समझे हैं,

एक दूजे के बिन है हमारी अधूरी कहानी ।।


बड़े बूढ़ों की दी हिदायतें, 

लगने लगी थी हमें बेकार,

स्वस्थ जीवन के सभी अभ्यासों को छोड़,

आधुनिक जीवन को हमने था किया स्वीकार।।


आज जब जीवन पर बनी आई है,

तब जाकर सबकी समझ में आई है,

पहला सुख है निरोगी काया,

छोड़ छाड़ अब पैसे की मोह माया ।।


ऐसे वक़्त ने हमें बहुत कुछ सिखाया है,

जीवन जीने का एक नया तरीका बताया है,

परिवार और स्वास्थ्य की ताकत को हमने जाना है,

प्रकृति की देनों और करिश्मों को भी माना है ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract