जिंदगी रुकी नहीं है
जिंदगी रुकी नहीं है


माना सोच कर बीती बातें सारी
नजरें मेरी थोड़ी झुक गयी हैं।
पर ऐसा कौन कहता है कि,
तुम्हारे बिना जिंदगी रुक गई है।
ना हवाओं ने बहना रोका है,
ना मौसमों ने बदलना छोड़ा है।
ना सूरज ने निकलना छोड़ा,
ना चांद ने चांदनी को छोड़ा है।
बस कुछ मुरझाई कलियां थीं,
जो तुम्हारे जाने से खिल गयी हैं।
और कुछ अधूरी सी आस थी,
जिन्हें अब जिंदगी मिल गई है।
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तुम्हारे ना होने का एहसास छोड़ो,
तुम्हारा जाना अब खलता नहीं है।
आंसुओं से खुद को धोते थे कभी,
पर अब ऐसा कुछ चलता नहीं है।
याद है तुमने जाते वक्त कहा था,
कि मेरे बिना तुम कुछ नहीं हों।
अब तो फर्क भी नहीं पड़ता कि,
तुम गलत हो या सही हों।
वजूद ढूंढ लिया अपना खुद ही,
जो तुम्हारे साथ होकर खोया था।
इससे ज्यादा और क्या करतीं,
ये सोचकर दिल जरूर रोया था।